बिंदु और शून्यम् एक ही कक्षा में पढ़ते थे. दोनों के बीच अद्भुत मित्रता थी और दोनों ही गणित समेत सभी विषयों में निपुण थे. कक्षा के सभी छात्र - छात्राएँ इनसे बहुत प्रेम करते थे. वे सभी आपस में गणित और अन्य विषयों पर चर्चा - परिचर्चा करते रहते थे. गणित के शिक्षक अनंत सर भी इन्हें बहुत प्यार करते थे. सभी छात्र एक दिन पूर्व ही अगले दिन कक्षा में पढ़ाए जाने वाले पाठ का अध्ययन करके आते थे और समझ में न आने वाली चीजें अनंत सर से पूछते थे. अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की यह प्रवृति देखकर अनंत सर को बहुत ही प्रसन्नता होती थी.
कल बीजगणित की कक्षा में भिन्नात्मक संख्याओं के वर्गमूल से संबंधित पाठ पढ़ाए जाने वाले थे और आज रविवार था. बिंदु और शून्यम् उक्त पाठ को ध्यानपूर्वक पढ़ रहे थे और संकल्पनाओं पर चिंतन कर रहे थे. संरेख इधर से ही गुजर रहा था. वह उच्च कक्षा का छात्र था और इनकी प्रतिभा के विषय में बहुत - कुछ सुन चुका था.
बिंदु और शून्यम् ने एक साथ पूछा, "बहुत दिनों के बाद आपके दर्शन हुए ! कैसे हैं आप ?"
"हाँ, कुशल हूँ. तुमलोग कैसे हों ? और क्या पढ़ाई चल रही है ?" उन्होंने कहा.
"हमलोग भी कुशल हैं और वर्गमूल से संबंधित पाठ पढ़ रहे थे," बिंदु ने कहा.
"अच्छा, वर्गमूल से संबंधित एक रोचक प्रश्न मेरे पास है. चाहो तो तुमलोग इस प्रश्न को हल कर सकते हो".
"हाँ - हाँ, क्यों नहीं ! आप प्रश्न तो बताइए," चहकते हुए शून्यम् ने कहा.
"वास्तव में इस प्रश्न में 2 + 2 = 5 सिद्ध किया गया है. वो भी वर्गमूल की सहायता से..."
"यह कैसे संभव है ? 2 + 2 तो चार होता है. अवश्य ही कहीं गलती होगी," संरेख को बीच में ही रोककर अचंभित बिंदु ने पूछा.
"हाँ, यही तो पता करना है कि गलती कहाँ है ?" संरेख ने प्रश्न स्पष्ट किया.
"कहाँ है वो प्रश्न ? मुझे दिखाइए," उत्तेजित होते हुए शून्यम् ने कहा.
संरेख ने प्रश्न लिखना शुरू किया.
\begin{align} 2 + 2 = 4 &= 4 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} \label{s1}\\ &=\sqrt{\left(4 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2} \label{s2}\\ &= \sqrt{16 - 2\cdot4\cdot \frac{9}{2} + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{16 - 36 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{-20 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{25 - 45 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{5^2- 2\cdot 5 \cdot \frac{9}{2} + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &=\sqrt{\left(5 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2} \label{s9}\\ &= 5 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} \label{s10}\\ & = 5. \end{align}
बिंदु और शून्यम् ने शीघ्रता से एक - एक चरण को जाँचना शुरू किया. उन्हें कहीं कोई गलती नजर नहीं आ रही थी. संरेख जा चुका था. तभी शून्यम् ने अभिकलित्र से अभिकलनों की जाँच करनी चाही. उसने चरण (\ref{s2}) की जाँच अभिकलित्र से की, तो परिणाम 5 आ रहा था. परन्तु पहले चरण में अभिकलन से तो 4 ही आ रहा था. इस बार बिंदु ने अभिकलन करना शुरू किया-
4 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} = 4 - 4.5 + 4.5 = -0.5 + 4.5 = 4,
और
\sqrt{\left(4 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2} = \sqrt{(4 - 4.5)^2} + 4.5 = \sqrt{0.25} + 4.5 = 0.5 + 4.5 = 5.
शून्यम् यह देखकर चकित रह गया कि दूसरे चरण में -0.5 के जगह 0.5 आ रहा है. "परन्तु अभिकलन तो बिलकुल सही है," बिंदु ने आश्चर्यपूर्वक कहा.
"हाँ, कुशल हूँ. तुमलोग कैसे हों ? और क्या पढ़ाई चल रही है ?" उन्होंने कहा.
"हमलोग भी कुशल हैं और वर्गमूल से संबंधित पाठ पढ़ रहे थे," बिंदु ने कहा.
"अच्छा, वर्गमूल से संबंधित एक रोचक प्रश्न मेरे पास है. चाहो तो तुमलोग इस प्रश्न को हल कर सकते हो".
"हाँ - हाँ, क्यों नहीं ! आप प्रश्न तो बताइए," चहकते हुए शून्यम् ने कहा.
"वास्तव में इस प्रश्न में 2 + 2 = 5 सिद्ध किया गया है. वो भी वर्गमूल की सहायता से..."
"यह कैसे संभव है ? 2 + 2 तो चार होता है. अवश्य ही कहीं गलती होगी," संरेख को बीच में ही रोककर अचंभित बिंदु ने पूछा.
"हाँ, यही तो पता करना है कि गलती कहाँ है ?" संरेख ने प्रश्न स्पष्ट किया.
"कहाँ है वो प्रश्न ? मुझे दिखाइए," उत्तेजित होते हुए शून्यम् ने कहा.
संरेख ने प्रश्न लिखना शुरू किया.
\begin{align} 2 + 2 = 4 &= 4 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} \label{s1}\\ &=\sqrt{\left(4 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2} \label{s2}\\ &= \sqrt{16 - 2\cdot4\cdot \frac{9}{2} + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{16 - 36 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{-20 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{25 - 45 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &= \sqrt{5^2- 2\cdot 5 \cdot \frac{9}{2} + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\ &=\sqrt{\left(5 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2} \label{s9}\\ &= 5 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} \label{s10}\\ & = 5. \end{align}
बिंदु और शून्यम् ने शीघ्रता से एक - एक चरण को जाँचना शुरू किया. उन्हें कहीं कोई गलती नजर नहीं आ रही थी. संरेख जा चुका था. तभी शून्यम् ने अभिकलित्र से अभिकलनों की जाँच करनी चाही. उसने चरण (\ref{s2}) की जाँच अभिकलित्र से की, तो परिणाम 5 आ रहा था. परन्तु पहले चरण में अभिकलन से तो 4 ही आ रहा था. इस बार बिंदु ने अभिकलन करना शुरू किया-
4 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} = 4 - 4.5 + 4.5 = -0.5 + 4.5 = 4,
और
\sqrt{\left(4 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2} = \sqrt{(4 - 4.5)^2} + 4.5 = \sqrt{0.25} + 4.5 = 0.5 + 4.5 = 5.
शून्यम् यह देखकर चकित रह गया कि दूसरे चरण में -0.5 के जगह 0.5 आ रहा है. "परन्तु अभिकलन तो बिलकुल सही है," बिंदु ने आश्चर्यपूर्वक कहा.
"अच्छा, चरण (\ref{s9}) और चरण (\ref{s10}) की जाँच करते हैं," शून्यम् ने कहा.
बिंदु ने अभिकलन करना शुरू किया-
\sqrt{\left(5 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2} = \sqrt{(5 - 4.5)^2} + 4.5 = \sqrt{0.25} + 4.5 = 0.5 + 4.5 = 5,
और
5 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} = 5 - 4.5 + 4.5 = 0.5 + 4.5 = 5.
"इस बार दोनों चरणों में एक ही परिणाम आ रहा है."
दोनों के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था.
"यह क्या जादू है !" बिंदु ने कहा.
हारकर दोनों ने यह प्रश्न अनंत सर से पूछने का सोचा.
अगले दिन कक्षा समाप्त होने के साथ ही सभी छात्र बाहर निकल गए. बिंदु और शून्यम् को अब भी कक्षा में ही खड़े देखकर अनंत सर ने पुछा, "तुमलोगों को कोई समस्या है क्या ? या कोई शिकायत है ?"
इसी बीच कक्षा के अन्य छात्र भी बिंदु और शून्यम् को अपने बीच नहीं पाकर पुनः कक्षा में आ गए थे.
"नहीं सर, हमलोग एक प्रश्न में कल से उलझे हैं. रहस्य कुछ भी समझ नहीं आ रहा है," बिंदु ने विनम्रता से कहा.
"कौन-सा प्रश्न है?" अनंत सर ने पुछा.
अनंत सर प्रश्न देखकर मंद - मंद मुस्कुराने लगे. दोनों विस्मित थे. उन्होंने कहा, "अभिकलन में दूसरे चरण में ही गलती है."
"सर ! हमलोग भी यही सोच रहे थे कि इसी चरण में कुछ - न - कुछ गलती है."
"परन्तु मैं इसका उत्तर देने से पहले तुमलोगों से कुछ प्रश्न पूछना चाहूँगा," अनंत सर ने कहा.
बिंदु तुम बताओ, क्या यह सही है -
- 3 = \sqrt{(-3)^2}.
बिंदु ने एक क्षण भी देर लगाए बिना कहा, "हाँ."
अच्छा, शून्यम् ! अब तुम बताओ, क्या यह सही है -
\sqrt{(-3)^2} = \sqrt{9} = 3.
शून्यम् ने भी एक क्षण भी गँवाए बिना कहा, "हाँ."
तब तो हम लिख सकते हैं -
- 3 = \sqrt{(-3)^2}= \sqrt{9} = 3.
"परन्तु तब तो -3 = 3 हो जा रहा है," बिंदु ने कहा.
"परन्तु \sqrt{9} के तो दोनों मान -3 और 3 सही है," शून्यम् ने कहा.
"यही तो समस्या है," अनंत सर ने कहा. "वास्तव में हम बीजीय अभिकलनों में वर्गमूल का केवल धनात्मक मान ही लेते हैं, क्योंकि अलग - अलग मान लेने पर हमें अलग - अलग परिणाम प्राप्त होगा. अतः किसी अद्वितीय मान को सुनिश्चित करने के लिए ही हम वर्गमूल का धनात्मक मान लेते हैं." सभी ध्यान से सुन रहे थे.
अनंत सर ने फिर कहना शुरू किया, "इस प्रकार \sqrt{9} का मान 3 ही लिखा जाता है. अतः - 3 = \sqrt{9} लिखना गलत है. हमें लिखना होगा: -3 = -\sqrt{9}."
"सर ! अब हमें समझ आ गया कि गलती कहाँ थी," बिंदु और शून्यम् ने एक साथ कहा.
बिंदु ने कहना जारी रखा, "क्योंकि 4 - \frac{9}{2} = -0.5 ऋणात्मक है, अतः हमें 4 - \frac{9}{2} = -\sqrt{\left(4 - \frac{9}{2}\right)^2} लिखना होगा."
"और क्योंकि 5 - \frac{9}{2} = 0.5 धनात्मक है, अतः हमें 5 - \frac{9}{2} = -\sqrt{\left(5 - \frac{9}{2}\right)^2} लिखना होगा," शून्यम् ने बीच में ही यह कहकर बिंदु के वाक्य को पूरा किया.
"हाँ, अब तुमलोग सही समझे हो," अनंत सर प्रसन्न होते हुए बोले.
तभी कक्षा के पिछले बेंच से मधुर स्वर गूँजा, "सर ! यह देखिए, अब अभिकलन करने पर 2 + 2 = 4 ही आ रहा है," ज्या ने चहकते हुए अपनी लेखन पुस्तिका सभी के सामने रख दी-
\begin{align*}
2 + 2 = 4 &= 4 - \frac{9}{2} + \frac{9}{2} \\
&=-\sqrt{\left(4 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\
&= -\sqrt{16 - 2\cdot4\cdot \frac{9}{2} + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\
&= -\sqrt{16 - 36 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\
&= -\sqrt{-20 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\
&=- \sqrt{25 - 45 + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\
&= -\sqrt{5^2- 2\cdot 5 \cdot \frac{9}{2} + \left(\frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\
&=-\sqrt{\left(5 - \frac{9}{2}\right)^2} + \frac{9}{2}\\
&= -(5 - \frac{9}{2}) + \frac{9}{2} \\
& = -5 + \frac{9}{2} + \frac{9}{2}\\
& = -5 + 9\\
& = 4.
\end{align*}
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