परिचय


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सोमवार, 6 जुलाई 2015

गणितीय शब्दावलियों की व्याख्या-1

आइए, गणित में प्रायः प्रयुक्त होने वाली कुछ शब्दावलियों की व्याख्या करें !

धनात्मक पूर्णांकों से हम सभी परिचित हैं. इन पूर्णांकों का समुच्चय {1, 2, 3,...} है. इसी प्रकार ऋणात्मक पूर्णांकों का समुच्चय {..., --3, -2, -1} है और पूर्णांकों का समुच्चय {..., -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, ...} है. कभी - कभी हम यह कहते है कि अमुक कथन शून्येतर पूर्णांकों के लिए सत्य है. इसका अर्थ है कि यह कथन शून्य को छोड़कर अन्य सभी पूर्णांकों के लिए सत्य है. ध्यान दें कि शून्येतर = शून्य + इतर. इतर का अर्थ होता है - (से) भिन्न और इस प्रकार शून्येतर का अर्थ हुआ- शून्य से भिन्न पूर्णांक संख्याएँ यानि धनात्मक और ऋणात्मक पूर्णांक संख्याएँ. इसी प्रकार ॠणेतर पूर्णांक का अर्थ होता है - जो पूर्णांक संख्या ऋण नहीं है, अर्थात शून्य और धनात्मक पूर्णांक संख्याएँ, धनेतर पूर्णांक संख्याओं का अर्थ भी इसी प्रकार परिभाषित है - शून्य और ऋणात्मक पूर्णांक संख्याएँ. आप देख सकते हैं कि गणितीय शब्दावलियों का निर्माण कुछ प्रत्ययों की सहायता से कितनी सुगमता से किया जा सकता है. किसी भी भाषा की शब्दावलियों को समझने के लिए उस भाषा के व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है. इन उदाहरणों की सहायता से आप समझ गए होंगे कि गणित में दुरूह दिखने वाले हिंदी पारिभाषिक शब्द वास्तव में कितने आसान और अर्थपूर्ण है....आवश्यकता है तो व्याकरण के नियमों को जानने की.
अगले पोस्ट में कुछ और शब्दावलियों की व्याख्या की जाएगी.

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