परिचय


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शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

अनुक्रम और उनकी सीमाएँ :: भाग - 1: अनुक्रम क्या है ?

अनुक्रम और उनकी सीमाएँ

प्रस्तुत लेखमाला में अनुक्रम और उनकी सीमाओं की गणितीय अवधारणा की परिचयात्मक व्याख्या कुछ उदाहरणों की सहायता से सरल शब्दों में की गई है |


भाग-1: अनुक्रम क्या है ?


गणितीय विश्लेषण (Mathematical Analysis) के पाठ्यक्रम का प्रारंभ प्रायः अनुक्रमों (sequences) और उनकी सीमाओं (limits) के अध्ययन से होता है | अतः हम अनुक्रम की परिभाषा से शुरुआत करते हैं | वस्तुओं के क्रमित सूची को अनुक्रम कहा जाता है | ध्यान दें कि अनुक्रम में क्रम महत्वपूर्ण है , जबकि वस्तुओं के समुच्चय में क्रम का कोई महत्त्व नहीं होता है | अनुक्रम में सूचीबद्ध अवयवों में प्रत्येक अवयव को पद (term)कहा जाता है | अनुक्रम के पद कुछ भी हो सकते हैं, जैसे - संख्याएँ, रंग, नाम, प्रतीक इत्यादि | अनुक्रम में एक ही पद पुनरावृत हो सकते हैं, परन्तु समुच्चय में एक अवयव एक ही बार लिखा जाता है | इस प्रकार अनुक्रम और समुच्चय दो भिन्न गणितीय वस्तुएँ हैं | अनुक्रमों के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं :
    $2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9.$
    $2, 4, 6, \ldots $
    $1, 2, 2, 1, 3, 5, 6, 8.$
    $1, \frac{1}{2}, \frac{1}{3}, \frac{1}{4}, \frac{1}{5}, \ldots$
    $राम, मोहन, श्याम.$
    $लाल, हरा, नीला, पीला.$
    $a, b,c, x, a, b, d, z, y.$
    $क, ख, ग, च, छ, प, म.$

    अनुक्रम में पदों की संख्या परिमित (finite) या अनंत (infinite) हो सकती है | जिस अनुक्रम में पदों की संख्या परिमित होती है, उसे परिमित अनुक्रम कहते हैं | जिस अनुक्रम में पदों की संख्या अनंत हों, उसे अनंत (अपरिमित) अनुक्रम कहते हैं | सामान्यतः अनुक्रम के पदों को लघु कोष्ठ "$()$" के अंदर लिखा जाता है, परन्तु यह अनिवार्य नहीं है | उदहारण के लिए, उपरोक्त उदाहरणों में प्रथम अनुक्रम को $(2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9)$ और द्वितीय अनुक्रम को $(2, 4, 6 \ldots)$ लिखा जा सकता है |

    चूँकि अनुक्रम में पद एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित होते हैं, अतः ये पद प्राकृत संख्याओं के किसी उपसमुच्चय के साथ एकैक संगति (one - one correspondence) में होते हैं | मान लीजिए $A_n := \{1, 2, 3, \ldots, n\}$ प्राकृत संख्याओं के समुच्चय $\mathbb{N}$ का उपसमुच्चय है | यदि किसी अनुक्रम में $n$ पद हों, तो इसके पद समुच्चय $A_n$ के साथ एकैक संगति में होते हैं | नीचे दिए गए चित्रों 1 - 4 में उपरोक्त अनुक्रमों में से प्रथम, तृतीय, पंचम और सप्तम अनुक्रम की संगति दिखाई गई है |


    अतः किसी परिमित अनुक्रम को एक फलन (function) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है | $n$ पदों वाले अनुक्रम को $n$-पदीय अनुक्रम ($n$-term sequence) कहा जाता है | एक $n$- पदीय अनुक्रम, जिसके पद समुच्चय $A$ में अवस्थित हैं, एक फलन $f: A_n \rightarrow A$ होता है | उदाहरण के लिए, चित्र - 3 में प्रदर्शित अनुक्रम फलन $f: A_3 \rightarrow A$ से व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $A_3 = \{1, 2, 3\}$ और $A = \{राम, मोहन, श्याम\}$, जो निम्न प्रकार परिभाषित है:
    \[f(1) = राम, f(2) = मोहन, f(3)= श्याम.\] 

    यदि अनुक्रम में पदों की संख्या अनंत हों, तो उस अनुक्रम के पदों की एकैक संगति प्राकृत संख्याओं के समुच्चय $\mathbb{N}$ से दिखाई जा सकती है | नीचे दिए गए चित्रों 5 - 6 में उपरोक्त अनुक्रमों में से द्वितीय और चतुर्थ अनुक्रम की संगति दिखाई गई है |



    अतः किसी अनंत अनुक्रम को भी एक फलन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है | एक अनंत अनुक्रम , जिसके पद समुच्चय $A$ में अवस्थित हैं, एक फलन  $f: \mathbb{N} \rightarrow A$ होता है | उदाहरण के लिए, चित्र - 5 में प्रदर्शित अनुक्रम को फलन $f: \mathbb{N} \rightarrow \mathbb{R}$ से व्यक्त किया जा सकता है, जो निम्न प्रकार परिभाषित है:
    \[f(n) = 2n \quad \forall \quad n \in \mathbb{N}.\]
    इसी प्रकार, चित्र - 6 में प्रदर्शित अनुक्रम को फलन $g: \mathbb{N} \rightarrow \mathbb{R}$ से व्यक्त किया जा सकता है, जो निम्न प्रकार परिभाषित है:
    \[g(n) = \frac{1}{n} \quad \forall \quad n \in \mathbb{N}.\]

    वैसे अनुक्रम जिसके पद वास्तविक संख्याएँ हों, उन्हें वास्तविक अनुक्रम (real sequences) कहते हैं, और वैसे अनुक्रम जिनके पद सम्मिश्र संख्याएँ हों, उन्हें सम्मिश्र अनुक्रम (complex sequences) कहते हैं | प्रस्तुत लेख में हम केवल अनंत वास्तविक अनुक्रमों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करेंगे | 

    एक वास्तविक अनुक्रम समुच्चय $\mathbb{N}$ पर परिभाषित एक वास्तविक मान फलन $f:\mathbb{N} \rightarrow \mathbb{R}$ होता है | संख्या $f(n)$ को इस अनुक्रम का $n$-वाँ पद कहते हैं | किसी अनुक्रम के $n$-वें पद $f(n)$ को गणित में प्रायः $s_n$ या $t_n$ से व्यक्त करते हैं और अनुक्रम $f$ को क्रमशः $(s_n)_{n \in \mathbb{N}}$ या $(t_n)_{n \in \mathbb{N}}$ से व्यक्त करते हैं | व्यवहार में अनुक्रम लिखते समय हम अधोक्षर $n \in \mathbb{N}$ को हटा देते है और केवल $(s_n)$ या $(t_n)$ लिखते हैं | उदाहरण के लिए, चित्र - 4 और 5 में प्रदर्शित अनुक्रम को क्रमशः $(2n)$ और $(\frac{1}{n})$ से व्यक्त किया जा सकता है | आगे से अनुक्रम से हमारा तात्पर्य होगा : अनंत वास्तविक अनुक्रम  | आगे आने वाली संकल्पनाओं की व्याख्या के लिए हम निम्नलिखित तीन अनुक्रमों को उदाहरण के रूप में प्रयुक्त करेंगे :

    उदाहरण - 1: $(s_n) = (\frac{1}{n}),$
    उदाहरण - 2: $(t_n) = (0),$
    उदाहरण - 3: $(u_n) = (2n),$
    उदाहरण - 4: $(v_n) = ((-1)^n).$

    वैसे अनुक्रम, जिसके सभी पद समान हों, को अचर अनुक्रम (constant sequence) कहते हैं | जिस अनुक्रम के सभी पद शून्य होते हैं, उसे शून्य अनुक्रम (null sequence) कहते हैं | उदाहरण - 2 का अनुक्रम एक अचर अनुक्रम है जो शून्य अनुक्रम भी है | अभी तक हमने कई अनुक्रम के उदाहरण देखे हैं | क्या आप कुछ अन्य अनुक्रमों के उदाहरण दे सकते हैं ? यदि कोई अनुक्रम दिया हुआ हो, तो क्या आप इससे नया अनुक्रम प्राप्त कर सकते हैं ? आइये हम कुछ ऐसी विधियों पर चर्चा करें, जिनकी सहायता से किसी दिए गए अनुक्रम से नए अनुक्रम प्राप्त किये जा सकते हैं |

    1. उपानुक्रम अर्थात उप - अनुक्रम (Subsequence) :

    यदि आप उपसमुच्चय की संकल्पना से परिचित है, तो उपानुक्रम को परिभाषित करने में आपको विशेष कठिनाई नहीं होनी चाहिए | मान लीजिए $(s_n)$ और $(t_n)$ दो अनुक्रम हैं | यदि अनुक्रम $(s_n)$ के सभी पद अनुक्रम $(t_n)$ के भी पद हों, तो $(s_n)$ को $(t_n)$ का उपानुक्रम कहते हैं | क्या आप उपानुक्रम का उदाहरण दे सकते हैं ? क्या कोई अनुक्रम स्वयं का उपानुक्रम होता है ? उदाहरण - 1 का अनुक्रम $(s_n) = (\frac{1}{n})$ पर विचार कीजिये | क्या आप इसका एक उपानुक्रम बता सकते हैं | अनुक्रम $(a_n) = (\frac{1}{2n})$ के बारे में आपका क्या विचार है ? यह $(s_n)$ का एक उपानुक्रम है | क्या आप कोई अन्य उपानुक्रम बता सकते हैं ? अनुक्रम $(b_n) = (\frac{1}{3n})$ भी $(s_n)$ का उपनुक्रम है | वास्तव में, इनके उपानुक्रमों की संख्या अनंत है (कयों ?) | इसी प्रकार उदाहरण - 4 का अनुक्रम $(v_n) = ((-1)^n)$ के दो उपानुक्रम $((-1)^{2n}) = (1)$ और $((-1)^{2n + 1}) = (-1)$ हैं, जो अचर अनुक्रम हैं | क्या आप उदाहरण - 2 के अनुक्रम $(t_n) = (0)$ के कुछ उपानुक्रम ज्ञात कर सकते हैं ? इस अनुक्रम का केवल एक उपानुक्रम है और वह स्वयं है | अब आप उदाहरण - 3 में दिए गए अनुक्रम के कुछ उपानुक्रम आसानी से ज्ञात कर सकते हैं | इस प्रकार हमने देखा है कि मूल अनुक्रम के कुछ पदों को हटाने पर हमें एक नया अनुक्रम प्राप्त होता है, जो उस अनुक्रम का उपानुक्रम होता है | ध्यान दीजिये कि इस नए अनुक्रम में पदों की आपेक्षिक स्थितियाँ वही होती हैं, जो मूल अनुक्रम में थीं | अर्थात, यदि मूल अनुक्रम का तीसरा पद और पाँचवां पद क्रमशः $a$ और $b$ हों, और यदि ये पद उपानुक्रम में हों, तो इस अनुक्रम में इन पदों का स्थान कोई भी कयों न हों, परन्तु $a$ सदैव $b$ से पहले आएगा | आइये अब हम परिशुद्ध गणितीय भाषा में उपानुक्रम को परिभाषित करते हैं: अनुक्रम $(s_n)$ का उपानुक्रम एक अनुक्रम $(a_k) = (s_{n_k})$ होता है, जहाँ $n_k \in \mathbb{N} \quad \forall \quad k \in \mathbb{N}$ और $n_1<n_2<n_3< \cdots $|


    2. अनुक्रमों का योग और गुणन (Sum and product of sequences):

    याद कीजिये कि अनुक्रम वास्तव में एक फलन है | क्या आप दो फलनों के योग और गुणन से परिचित हैं ? यदि हाँ, तो आप आसानी से दो अनुक्रमों का योग और गुणनफल परिभाषित कर सकते है | दो अनुक्रमों का योग एक अनुक्रम होता है, जिसका $n$-वाँ पद उन अनुक्रमों के $n$-वें पदों के योग के बराबर होता है | दो अनुक्रमों का गुणन एक अनुक्रम होता है, जिसका $n$-वाँ पद उन अनुक्रमों के $n$-वें पदों के गुणनफल के बराबर होता है | गणितीय भाषा में इन्हें हम निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं:
    \[(s_n) + (t_n) := (s_n + t_n) ~\text{और}~ (s_n)(t_n) := (s_nt_n).\]
    इसी प्रकार हम परिभाषित कर सकते हैं:
    \[(s_n) - (t_n) = (s_n - t_n),\]
    और \[\frac{(s_n)}{(t_n)} = \left(\frac{s_n}{t_n}\right) \quad \text{यदि} \quad t_n \neq 0 \quad \forall \quad n \in \mathbb{N}.\]

    उदाहरण के लिए, उदहारण - 3 और उदाहरण - 4 में दिए गए अनुक्रमों का योग, गुणन, अंतर और भाग निम्नलिखित हैं:
    \[(u_n) + (v_n) = (2n + (-1)^n),\]
    \[(u_n) - (v_n) = (2n - (-1)^n),\]
    \[(u_n)(v_n) = (2n(-1)^n) = ((-1)^n2n),\]
    और
    \[\frac{(u_n)}{(v_n)} = \left(\frac{2n}{(-1)^n}\right) = ((-1)^n2n).\]

    3. फलनों और अनुक्रमों का संयोजन (Compositions of functions and sequences):

    मान लीजिए $f:\mathbb{R} \rightarrow \mathbb{R}$ एक फलन है और $(a_n)$ एक अनुक्रम है, तो इनका संयोजन $f \circ (a_n)$ एक अनुक्रम $(s_n) = (f(a_n))$ होता है | उदाहरण के लिए, यदि फलन $: \mathbb{R} \rightarrow \mathbb{R}: f(x) = x^2$ हों और $(a_n) = (2n -1) $ हों, तो $f \circ (a_n) = (f(a_n)) = (f(2n-1)) = ((2n-1)^2)$ होता है | इसी प्रकार यदि $g: \mathbb{R} \rightarrow \mathbb{R}: g(x) = |x|$ हों और $(b_n) = ((-1)^n)$ एक अनुक्रम हों, तो $g \circ (b_n) = (|(-1)^n|) = (1)$ एक अचर अनुक्रम है |

    नए अनुक्रम प्राप्त करने की यही मुख्य विधियाँ हैं | अगले भाग में हम अनुक्रम के व्यव्हार का अध्ययन करेंगे | अनुक्रम के व्यव्हार से तात्पर्य है: अनुक्रम के पदों का व्यवहार | ये पद या तो किसी निश्चित संख्या की ओर अग्रसर हो सकते हैं या अनंत की ओर अग्रसर हो सकते हैं या फिर किसी  संख्या के इर्द - गिर्द विचरण कर सकते हैं | ऐसे अनुक्रम को क्रमशः अभिसारी (convergent), अपसारी (divergent) या दोलायमान (oscillating) अनुक्रम कहा जाता है | इसपर विस्तृत चर्चा हम भाग -2 में करेंगे |


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