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परिचय


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सोमवार, 19 जून 2017

शून्य से विभाजन की समस्या


  
यह लेख मूल अंग्रेजी लेख Zero in Division: quite a tricky affair ;) की अनूदित सह संशोधित व संवर्धित प्रस्तुति है.
  मूल लेखिका: प्रिया अस्थाना
  अनुवादक: राज कुमार मिस्त्री
 


बच्चे प्रारंभिक कक्षाओं में ही विभाजन (division) अर्थात भाग देने की प्रक्रिया से परिचित हो जाते हैं. उन्हें यह प्रक्रिया अत्यंत आसान लगती है. परन्तु जब शून्य से भाग देने की समस्या आती है, तो वे उत्तरहीन हो जाते हैं. यह समस्या और भी कठिन हो जाती है, जब शून्य में शून्य से भाग देने का प्रश्न उठता है.

यहाँ पर हम इन्हीं समस्याओं पर विस्तार चर्चा करेंगे और इनका हल प्रस्तुत करेंगे. यह चर्चा प्राथमिक और माध्यमिक कक्षा के छात्रों को ध्यान में रखकर प्रस्तुत की गई है. हम निम्नलिखित तीन समस्याओं पर चर्चा करेंगे:
  •  \frac{0}{N} (किसी शून्येतर संख्या से शून्य का विभाजन)
  •  \frac{N}{0} (किसी शून्येतर संख्या का शून्य से विभाजन)
  •  \frac{0}{0} (शून्य से शून्य का विभाजन). 


    किसी शून्येतर संख्या से शून्य का विभाजन (0/N)
     


    आज पाँचवीं कक्षा के एक छात्र ने मुझसे पुछा - 0/2015 क्या होगा ?

    मैं इस प्रश्न का उत्तर तत्क्षण नहीं देना चाहती थी. मैं इस प्रश्न पर परिचर्चा के लिए कुछ ऐसे तरीके खोज रही थी, जिससे कि छात्र भाग की संकल्पना को अच्छी तरह समझ सके और स्वयं इस प्रश्न का उत्तर खोज सके.

    छात्र - क्या इसका उत्तर शून्य होगा ?

    वह अपने उत्तर के प्रति पूर्णतः आश्वस्त प्रतीत नहीं हो रहा था. उसके प्रश्न की उपेक्षा करते हुए मैंने अपने तरीके (Guided Discovery Way) से समझाने के उद्देश्य से कुछ प्रश्न किए.

    मैं -विभाजन या भाग का क्या अर्थ है ?

    छात्र - भाग का अर्थ है - 'बराबर भागों' में बाँटना.

    मैं - ठीक है, एक उदाहरण दो.

    छात्र - यदि मेरे पास 10 आम हैं और इन्हें 5 मित्रों में बाँटा जाए, तो प्रत्येक को 2 आम मिलेंगे. 10/5 = 2.

    मैं - बहुत अच्छा ! यदि तुम्हारे पास एक भी आम नहीं हो और इन्हें 5 मित्रों में बाँटने को कहा जाए, तो प्रत्येक को कितने आम मिलेंगे ?

    छात्र - मेरे पास एक भी आम नहीं है, अतः वास्तव में हमें बाँटने के लिए कुछ भी नहीं है........तो किसी को कुछ भी नहीं मिलेगा.

    मैं - कुछ भी नहीं से तुम्हारा क्या तात्पर्य है ?

    छात्र - कुछ भी नहीं का अर्थ शून्य है.

    मैं - इस प्रकार प्रत्येक को 0 आम मिलेंगे. अर्थात 0/5 = 0 ?

    छात्र - हाँ, 0/5 =0.

    मैं - अच्छा, यदि तुम्हारे पास एक भी आम नहीं हो और उन्हें 9 मित्रों में बाँटने को कहा जाए, तो प्रत्येक को कितने आम मिलेंगे ?

    छात्र - हाँ, समझ गया. 0/10 = 0.

    मैं - अच्छा, तो 0/ 2015 = ? 
     
    छात्र (हँसते हुए) - शून्य. मैं भी यह जानकर हँस पड़ी की उसे मेरी बात समझ आ गई थी. 

    मैं - अब एक अंतिम प्रश्न. यदि 0 को किसी शून्येतर संख्या से भाग दिया जाए, तो उत्तर क्या होगा ? अर्थात 0/N = ?

    छात्र - 0.

    यदि मैं इस तथ्य को सीधे - सीधे बता देती, तो छात्र आँख मूँदकर बिना समझे उसे स्वीकार कर लेते. गणित आँख मूँदकर स्वीकार करने के लिए नहीं है, यह समझने के लिए है.


    किसी शून्येतर संख्या का शून्य से विभाजन (N/0)
     

     वास्तव में, N/0 अपरिभाषित है.

    हम शून्य से क्यों नहीं विभाजित कर सकते ?

    इसका उत्तर विभाजन की परिभाषा के साथ सामंजस्यता से संबंधित है. 


    किसी संख्या a को किसी संख्या b से विभाजन का तात्पर्य है - एक ऐसी संख्या x ज्ञात करना जिससे कि 
    bx = a.

    यदि b = 0, तो दो स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं -
    • a \neq 0,
    • a = 0.
    प्रथम स्थिति: a \neq 0.
    इस स्थिति में, हमें एक ऐसी संख्या x ज्ञातकरनी है, जिससे कि
    0 \times x = a.
    क्योंकि 0 को किसी भी संख्या से गुणा करने पर 0 ही प्राप्त होता है, अतः उपरोक्त व्यंजक में वाम पक्ष 0 होगा, जबकि दक्षिण पक्ष a शून्य नहीं है. अतः उपरोक्त प्रतिबंध को संतुष्ट करने वाले किसी x का अस्तित्व नहीं है. अतः किसी शून्येतर संख्या में शून्य से भाग देना संभव नहीं है.

    द्वितीय स्थिति: a = 0.
    इस स्थिति में, हमें एक ऐसी संख्या x ज्ञातकरनी है, जिससे कि
    0 \times x = 0.
    क्योंकि 0 को किसी भी संख्या से गुणा करने पर 0 ही प्राप्त होता है, अतः x का कोई भी मान उपरोक्त प्रतिबंध को संतुष्ट करेगा. अतः उपरोक्त प्रतिबंध को संतुष्ट करने वाले किसी अद्वितीय (unique) x का अस्तित्व (existence) नहीं है. अतः 0/0 का कोई अद्वितीय वास्तविक मान (unique real number)निर्धारित नहीं किया जा सकता है (क्यों ? उत्तर नीचे के अनुच्छेद में देखें). अतः 0/0 अपरिभाषित (undefined) है.


    शून्य से शून्य का विभाजन (0/0)
     

     
    ऊपर के अनुच्छेद में हमने कहा था कि 0/0 का कोई अद्वितीय वास्तविक मान निर्धारित नहीं किया जा सकता है. यहाँ हम इसके समुचित कारणों पर प्रकाश डालेंगे.

    मान लीजिए कि 0/0 को कोई अद्वितीय वास्तविक मान k निर्धारित किया जा सकता है. तब 
    2k = 2\cdot \frac{0}{0} = \frac{2 \times 0}{0} = \frac{0}{0} = k.
    इसलिए, 
    2k - k = 0.
    अर्थात 
    k = 0.
    अतः यह अद्वितीय मान 0 हो सकता है. (ध्यान रखें कि यह कथन केवल ऐसा होने की संभावना व्यक्त करता है. आगे हम सिद्ध करेंगे कि ऐसा बिलकुल संभव नहीं है.)

    अब यदि \frac{0}{0} = 0, तो किसी भी स्वेच्छ वास्तविक संख्या x के लिए निम्नलिखित संबंध सत्य होना चाहिए- 
    x + 0 = x + \frac{0}{0} = \frac{x \cdot 0 + 0}{0} = \frac{0}{0} = 0.
    अर्थात,
    x = 0.
    परन्तु उपरोक्त संबंध x के शून्येतर मानों के लिए सत्य नहीं है (x = 1, 2, 5, इत्यादि लेकर देखें), जो हमारी इस पूर्व - मान्यता का विरोध करता है कि x = 0 सभी वास्तविक संख्याओं x के लिए सत्य है. अंततः यह निष्कर्ष निकलता है कि \frac{0}{0} का कोई अद्वितीय वास्तविक मान निर्धारित नहीं किया जा सकता है. अर्थात, \frac{0}{0} अपरिभाषित है.


    अनुवादक की टिप्पणी. व्यंजक \frac{a}{b} कब अर्थहीन या अपरिभाषित होता है ?

    यहाँ पर हम दो पूर्णांकों a और b के लिए, व्यंजक \frac{a}{b} के परिभाषित होने के लिए आवश्यक और पर्याप्त प्रतिबंधों का उल्लेख करेंगे. व्यंजक \frac{a}{b} अर्थपूर्ण या परिभाषित होता है यदि और केवल यदि निम्नलिखित दो प्रतिबंध संतुष्ट होते हों:
    1. चर x के लिए समीकरण bx = a के परिमेय हल का अस्तित्व हों.
    2. उपरोक्त समीकरण का हल अद्वितीय हो.
    व्यंजक \frac{a}{b} के अर्थपूर्ण होने पर इस व्यंजक का मान समीकरण bx = a का हल होता है.
    आइए, अब हम एक - एक कर पूर्व में चर्चा किए गए तीनों व्यंजकों पर विचार करते हैं.

    पहला व्यंजक था: \frac{0}{N}, जहाँ N एक शून्येतर संख्या है. यह व्यंजक प्रतिबंध - 1 को संतुष्ट करता है, क्योंकि समीकरण Nx = 0 के हल का अस्तित्व है और यह हल x = 0 है. यह आसानी से दिखाया जा सकता है कि यह हल अद्वितीय है - मान लीजिए कि इसका कोई शून्येतर हल x = k है, तब Nk = 0, जो संभव नहीं है, क्योंकि N और k के शून्येतर होने के कारण Nk कभी शून्य नहीं हो सकता है. अतः समीकरण Nx = 0 का 0 के अतिरिक्त कोई हल नहीं है. अतः व्यंजक \frac{0}{N} अर्थपूर्ण है और इसका मान 0 है.

    दूसरा व्यंजक था: \frac{N}{0} , जहाँ N एक शून्येतर संख्या है. यह व्यंजक प्रतिबंध - 1 को ही संतुष्ट नहीं करता है, क्योंकि समीकरण 0x = N के हल का अस्तित्व नहीं है. इसकी व्याख्या लेख में पहले ही की जा चुकी है. अतः व्यंजक \frac{N}{0} अर्थपूर्ण नहीं है, अर्थात यह परिभाषित नहीं है.

    अंत में, तीसरा व्यंजक था: \frac{0}{0} , जहाँ N एक शून्येतर संख्या है. यह व्यंजक प्रतिबंध - 1 को संतुष्ट करता है, क्योंकि समीकरण 0x = 0 के हल का अस्तित्व है. उदाहरण के लिए, एक हल x = 0 है. परन्तु यह व्यंजक प्रतिबंध - 2 को संतुष्ट नहीं करता है, क्योंकि समीकरण 0x =0 का अद्वितीय हल नहीं है. वास्तव में इसके अनंत हल हैं. प्रत्येक परिमेय संख्या इस समीकरण का हल है. अतः व्यंजक \frac{0}{0} अर्थपूर्ण नहीं है, अर्थात यह परिभाषित नहीं है.
     

    ***

    3 टिप्‍पणियां :

    1. very nice explanation. maths koi rattebaji ka vishay nahi use history ke taraha yaad kar le. maths ek svatantra vishay hai. har step par vichar karne laganevala vishay. mera sidha aur saral opinion hai, maths ke concept acche taraha se samaj kar us ka jada se jada practise karna chahiye.

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    2. क्या दो विभिन्न शून्यतर पूर्ण संख्याओं के लिए पहली संख्या को दोसरी संख्या से विभाजित करने पर तथा दोसरी संख्या कों पहली संख्या से विभाजित करने पर समान भागफल प्राप्त होता है।

      जवाब देंहटाएं
      उत्तर
      1. नहीं. उदाहरण के लिए, 6 को 2 से विभाजित करने पर भागफल 3 प्राप्त होता है, परन्तु 2 को 6 से विभाजित करने पर भागफल 0 प्राप्त होता है (यहाँ शेषफल 2 है ).

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