प्राचीन भारत के
प्रसिद्द गणितज्ञों में गणितीय ग्रंथ लीलावती के रचयिता भास्कराचार्य
का महत्वपूर्ण स्थान है | लीलावती वास्तव में भास्कराचार्य रचित ग्रंथ सिद्धांत-शिरोमणि का ही एक भाग है | यह ग्रंथ गणित और ज्योतिष
विषय का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है और यह संस्कृत भाषा में काव्यात्मक शैली में
श्लोकबद्ध है | इस ग्रंथ में वर्णित
नियमों की व्याख्या करने के लिए भास्कराचार्य ने गद्य शैली में वासना नामक एक ग्रंथ लिखा | सिद्धांत-शिरोमणि के चार भाग हैं - लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय और ग्रहगणित | लीलावती में अंकगणित
(पाटीगणित) पर, बीजगणित में बीजगणित पर, गोलाध्याय में खगोल पर और
ग्रहगणित में ग्रहों की गति पर चर्चा की गई है | सिद्धांत-शिरोमणि के अतिरिक्त भास्कराचार्य ने एक और ग्रंथ करण-कुतूहल की रचना की थी, जिसमें पंचांग बनाने की विधियों पर चर्चा की गयी है | लीलावती पर कई टीकाएँ
लिखी जा चुकी हैं और देश-विदेश की कई भाषाओँ
में अनुवाद किये गए हैं |
बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे। यद्किंचिद्वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि॥ हिंदी में उच्च - स्तरीय गणित - लेखन का एक उद्यम......
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शनिवार, 30 अगस्त 2014
भास्कराचार्य
सूचक शब्द :
अनिधार्य समीकरण
,
चक्रवाल विधि
,
बीजगणित
,
भास्कराचार्य
,
लीलावती
स्थान :
India
बुधवार, 27 अगस्त 2014
गिज़ेप पियानो (गणितज्ञ)
गिज़ेप पियानो (इतालवी [dʒuzɛppe Peano], 27 अगस्त, 1858 - 20 अप्रैल 1932) एक इतालवी गणितज्ञ थे | उन्होंने दो सौ से अधिक
पुस्तकों और पत्रों की रचना की | उन्होंने गणितीय तर्क
शास्त्र की आधारशिला रखी | इन विषयों में प्रयुक्त
अधिकतर संकेतों का श्रेय उन्हीं को प्राप्त है | उन्होंने ही प्राकृत
संख्या निकाय की अभिगृहितीय संकल्पना प्रस्तुत की थी और इसीलिये उनके सम्मान में
इन अभिगृहितों को पियानो अभिगृहीत के नाम से जाना जाता है | इस कार्य के ही फलस्वरूप
उन्होंने गणितीय आगमन सिद्धांत की परिशुद्ध व सुव्यवस्थित संकल्पना विकिसित की | आधुनिक गणित में उनका यह
योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है | उन्होंने अपना अधिकांश
जीवन ट्यूरिन विश्वविद्यालय में गणित अध्यापन में समर्पित किया |
पियानो अभिगृहीत :
1. शून्य (0) एक प्राकृत संख्या है |
2. प्रत्येक प्राकृत संख्या
की अनवुर्ती संख्या प्राकृत संख्या होती है।
3. भिन्न-भिन्न प्राकृत संख्याओं की अनुवर्ती संख्याएँ भी अलग-अलग होंगी।
4. शून्य (0) किसी भी प्राकृत संख्या की अनुवर्ती नहीं है |
5. यदि K कोई ऐसा समुच्चय है जो निम्न प्रतिबंधों को संतुष्ट करता है: (i) 0 समुच्चय K का सदस्य है, (ii) प्रत्येक प्राकृतिक संख्या n के लिए, यदि n समुच्चय K का सदस्य है, तो उसकी अनुवर्ती संख्या भी K का सदस्य है. उपरोक्त प्रतिबंधों के संतुष्ट होने पर सभी प्राकृतिक संख्याएँ K की सदस्य होंगी। इसे 'आगमन अभिगृहीत' कहा जाता है।
5. यदि K कोई ऐसा समुच्चय है जो निम्न प्रतिबंधों को संतुष्ट करता है: (i) 0 समुच्चय K का सदस्य है, (ii) प्रत्येक प्राकृतिक संख्या n के लिए, यदि n समुच्चय K का सदस्य है, तो उसकी अनुवर्ती संख्या भी K का सदस्य है. उपरोक्त प्रतिबंधों के संतुष्ट होने पर सभी प्राकृतिक संख्याएँ K की सदस्य होंगी। इसे 'आगमन अभिगृहीत' कहा जाता है।
प्राकृत संख्याओं की आधारशिला पर विस्तृत जानकारी के लिए
निम्नलिखित लेख द्रष्टव्य हैं :
सूचक शब्द :
आगमन अभिगृहीत
,
गिज़ेप पियानो
,
पियानो अभिगृहीत
,
प्राकृत संख्या
स्थान :
India
मंगलवार, 26 अगस्त 2014
गणितीय आगमन सिद्धांत
गणितीय कथन को प्रमाणित या अप्रमाणित करने के लिए
गणितीय तर्क पर आधारित जिन कथनों को प्रस्तुत किया जाता है, उन्हें
उपपत्ति (प्रमाण) कहा जाता है. उपपत्ति की कई विधियाँ होती हैं, जिनका
अध्ययन प्रायः गणितीय तर्कशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है. इन विधियों में एक महत्वपूर्ण विधि गणितीय आगमन सिद्धांत है. प्रस्तुत लेख में इस विधि पर विस्तार से चर्चा की जाएगी.
सूचक शब्द :
आगमन सिद्धांत
,
उपपत्ति की विधियाँ
स्थान :
India
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