परिचय


गणितीय ब्लॉग "गणिताञ्जलि" पर आपका स्वागत है ! $\ast\ast\ast\ast\ast$ प्रस्तुत वेबपृष्ठ गणित के विविध विषयों पर सुरुचिपूर्ण व सुग्राह्य रचनाएँ हिंदी में सविस्तार प्रकाशित करता है.$\ast\ast\ast\ast\ast$ गणिताञ्जलि : शून्य $(0)$ से अनंत $(\infty)$ तक ! $\ast\ast\ast\ast\ast$ इस वेबपृष्ठ पर उपलब्ध लेख मौलिक व प्रामाणिक हैं.

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

दो और दो पाँच !!!

बिंदु और शून्यम् एक ही कक्षा में पढ़ते थे. दोनों के बीच अद्भुत मित्रता थी और दोनों ही गणित समेत सभी विषयों में निपुण थे. कक्षा के सभी छात्र - छात्राएँ इनसे बहुत प्रेम करते थे. वे सभी आपस में गणित और अन्य विषयों पर चर्चा - परिचर्चा करते रहते थे. गणित के शिक्षक अनंत सर भी इन्हें बहुत प्यार करते थे. सभी छात्र एक दिन पूर्व ही अगले दिन कक्षा में पढ़ाए जाने वाले पाठ का अध्ययन करके आते थे और समझ में न आने वाली चीजें अनंत सर से पूछते थे. अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की यह प्रवृति देखकर अनंत सर को बहुत ही प्रसन्नता होती थी.

कल बीजगणित की कक्षा में भिन्नात्मक संख्याओं के वर्गमूल से संबंधित पाठ पढ़ाए जाने वाले थे और आज रविवार था. बिंदु और शून्यम् उक्त पाठ को ध्यानपूर्वक पढ़ रहे थे और संकल्पनाओं पर चिंतन कर रहे थे. संरेख इधर से ही गुजर रहा था. वह उच्च कक्षा का छात्र था और इनकी प्रतिभा के विषय में बहुत - कुछ सुन चुका था.

बिंदु और शून्यम् ने एक साथ पूछा, "बहुत दिनों के बाद आपके दर्शन हुए ! कैसे हैं आप ?"
"हाँ, कुशल हूँ. तुमलोग कैसे हों ? और क्या पढ़ाई चल रही है ?" उन्होंने कहा.

शीर्ष पर जाएँ