गणित के अंतर्गत संख्या सिद्धांत में कई ऐसी अनसुलझी समस्याएँ हैं, जो अपनी बोधगम्यता और दुरूहता के कारण गणितज्ञों को शताब्दियों से आकर्षित और अचंभित करते आए हैं. ये समस्याएँ बोधगम्य इसलिए हैं कि इनके कथन गणित का साधारण ज्ञान रखने वाले व्यक्ति भी समझ सकते हैं और दुरूह इसलिए हैं कि गणित में वर्तमान में ज्ञात सिद्धांतों की सहायता से इन समस्याओं को हल करना अत्यंत कठिन प्रतीत होता है - कुछ समस्याओं को शताब्दियों बाद गणित की उच्चस्तरीय तकनीकों और सिद्धांतों की सहायता से सुलझाया जा सका है और कुछ समस्याएँ अभी भी शताब्दियों से अनसुलझे पड़े हैं. इन अनसुलझे समस्याओं में कुछ अभिनव समस्याएँ भी हैं. इन्हीं समस्याओं में एक अत्यंत रोचक समस्या है - $ABC$ अनुमान. इस अनुमान को फ़्रांसिसी गणितज्ञ Joseph Oesterlé और बेसेल विश्वविद्यालय (University of Basel) के गणितज्ञ David Masser ने 1985 में प्रतिपादित किया था. हाल ही में, 2012 में क्योटो विश्विद्यालय में कार्यरत जापानी गणितज्ञ Shinichi Mochizuki ने इस समस्या का हल प्रस्तावित किया है. कई वर्षों के एकांत शोध के पश्चात् उन्होनें लगभग 500 पृष्ठों में इस समस्या का हल प्रस्तुत किया है. यह शोध पत्र एक गणितीय शोध पत्रिका में प्रकाशनार्थ विचाराधीन है और विशेषज्ञ गणितज्ञ इस शोध पत्र के अध्ययन में रत हैं. उनके इस शोध कार्य को कुछ गिने - चुने गणितज्ञ ही कुछ हद तक समझ पाए हैं और गणितज्ञों का विश्वास है कि शोध पत्र में प्रस्तुत हल सही है. पूर्ण सत्यापन के पश्चात ही इसका प्रकाशन किसी शोध पत्रिका में किया जाएगा.
$ABC$ अनुमान तीन धन पूर्णांकों $a, b$ और $c = a + b$ के अभाज्य गुणनखंडों (prime factors) के आमाप से संबंधित प्रश्नों पर विचार करता है. इसे हम आगे क्रमबद्ध तरीके से स्पष्ट करेंगे. अभाज्य संख्याएँ (prime numbers) $1$ से बड़ी वैसी प्राकृत संख्याएँ (natural numbers) हैं, जिनके गुणनखंड केवल $1$ और वही संख्या हैं. उदाहरण के लिए, $2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19$ इत्यादि अभाज्य संख्याएँ हैं. यदि कोई अभाज्य संख्या $p$ धन पूर्णांक $a$ को विभाजित करता है, तो हम कहते हैं कि $p$ धन पूर्णांक $a$ का अभाज्य गुणनखंड है. एक से बड़ी किसी भी धन पूर्णांक को परिमित संख्या में अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में अद्वितीयतः लिखा जा सकता है. यह अंकगणित का मूलभूत प्रमेय (fundamental theorem of arithmetic) है. उदाहरण के लिए,
\[9 = 3^2, ~ 14 = 2\times 7, ~ 36 = 2\times 2 \times 3 \times 3 = 2^2 \times 3^2, ~ 45 = 3\times 3 \times 5 = 3^2 \times 5.\]
इस प्रकार किसी धन पूर्णांक के एक से अधिक अभाज्य गुणनखंड हो सकते हैं. यह भी ध्यान दीजिए कि किसी अभाज्य संख्या का केवल एक ही अभाज्य गुणनखंड होता है और यह गुणनखंड स्वयं वह अभाज्य संख्या होती है. यह तथ्य इस बात से स्पष्ट है कि कोई अभाज्य संख्या केवल $1$ और स्वयं से विभाजित होती है और परिभाषा के अनुसार $1$ अभाज्य संख्या नहीं है. उदाहरण के लिए, $5$ का अभाज्य गुणनखंड केवल $5$ है. $ABC$ अनुमान का कथन देने से पहले हमें एक परिभाषा की आवश्यकता है. एक धन पूर्णांक $36$ लीजिए. हमने ऊपर देखा कि इसके अभाज्य गुणनखंडन (prime factorization) $2^2 \times 3^2$ में केवल दो अभाज्य संख्याएँ सम्मिलित हैं: $2$ और $3$. इन दोनों अभाज्यों का गुणनफल $2 \times 3 = 6$ है. इसे हम $36$ का मूलांश (radical) कहते हैं. (मूलांश शब्द की व्याख्या लेख के अंत में की गई है.) इसी प्रकार $45$ का मूलांश $15$ है, क्योंकि इसके अभाज्य गुणनखंड $3^2 \times 5$ में केवल दो अभाज्य संख्याएँ $3$ और $5$ सम्मिलित हैं और $3 \times 5 = 15$. किसी धन पूर्णांक $a$ के मूलांश को सामान्यतः $rad(a)$ से व्यक्त किया जाता है. इस प्रकार $rad(36) = 6$ और $rad(45) = 15$. ध्यान दीजिए कि दो अलग - अलग संख्याओं के मूलांश समान हो सकते हैं, क्योंकि किसी संख्या का मूलांश उस संख्या के अभाज्य गुणनखंड में सम्मिलित केवल विविध अभाज्य संख्याओं पर निर्भर करता है, न कि उस गुणनखंड में किसी अभाज्य संख्या की बहुकता (multiplicity) अर्थात पुनरावृति संख्या पर. इस प्रकार $rad(36) = rad(72) = 6$, क्योंकि $72 = 2^3 \times 3^2$. परन्तु $36 \neq 72$. मूलांश की व्यापक परिभाषा हम नीचे दे रहे हैं:
मूलांश की परिभाषा
यदि दो धन पूर्णांकों के अभाज्य गुणनखंडन दिए हुए हों, तो इन संख्याओं के गुणनफल का अभाज्य गुणनखंडन आसानी से ज्ञात किया जा सकता है - हमें केवल दोनों अभाज्य गुणनखंडनों को गुणनफल के रूप में लिखना होता है. उदाहरण के लिए, $36 = 2^2 \times 3^2$ और $45 = 3^2 \times 5$. इसलिए
\[36 \times 45 = 2^2 \times 3^2 \times 3^2 \times 5 = 2^2 \times 3^4 \times 5. \]
अतः $rad(36 \times 45) = 2 \times 3 \times 5 = 30$. इस प्रकार यदि दो संख्याओं के अभाज्य गुणनखंडन दिए हुए हों, तो इन संख्याओं के गुणनफल का मूलांश उन अभाज्य गुणनखंडों में आए अभाज्यों को देखकर ज्ञात किया जा सकता है.
आइए, अब हम तीन धन पूर्णांक $a, b$ और $c = a + b$ लेते हैं. इन संख्याओं का गुणनफल $abc$ लीजिए. इसका मूलांश $rad(abc)$ ज्ञात कीजिए. अब कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं:
इस प्रकार किसी धन पूर्णांक के एक से अधिक अभाज्य गुणनखंड हो सकते हैं. यह भी ध्यान दीजिए कि किसी अभाज्य संख्या का केवल एक ही अभाज्य गुणनखंड होता है और यह गुणनखंड स्वयं वह अभाज्य संख्या होती है. यह तथ्य इस बात से स्पष्ट है कि कोई अभाज्य संख्या केवल $1$ और स्वयं से विभाजित होती है और परिभाषा के अनुसार $1$ अभाज्य संख्या नहीं है. उदाहरण के लिए, $5$ का अभाज्य गुणनखंड केवल $5$ है. $ABC$ अनुमान का कथन देने से पहले हमें एक परिभाषा की आवश्यकता है. एक धन पूर्णांक $36$ लीजिए. हमने ऊपर देखा कि इसके अभाज्य गुणनखंडन (prime factorization) $2^2 \times 3^2$ में केवल दो अभाज्य संख्याएँ सम्मिलित हैं: $2$ और $3$. इन दोनों अभाज्यों का गुणनफल $2 \times 3 = 6$ है. इसे हम $36$ का मूलांश (radical) कहते हैं. (मूलांश शब्द की व्याख्या लेख के अंत में की गई है.) इसी प्रकार $45$ का मूलांश $15$ है, क्योंकि इसके अभाज्य गुणनखंड $3^2 \times 5$ में केवल दो अभाज्य संख्याएँ $3$ और $5$ सम्मिलित हैं और $3 \times 5 = 15$. किसी धन पूर्णांक $a$ के मूलांश को सामान्यतः $rad(a)$ से व्यक्त किया जाता है. इस प्रकार $rad(36) = 6$ और $rad(45) = 15$. ध्यान दीजिए कि दो अलग - अलग संख्याओं के मूलांश समान हो सकते हैं, क्योंकि किसी संख्या का मूलांश उस संख्या के अभाज्य गुणनखंड में सम्मिलित केवल विविध अभाज्य संख्याओं पर निर्भर करता है, न कि उस गुणनखंड में किसी अभाज्य संख्या की बहुकता (multiplicity) अर्थात पुनरावृति संख्या पर. इस प्रकार $rad(36) = rad(72) = 6$, क्योंकि $72 = 2^3 \times 3^2$. परन्तु $36 \neq 72$. मूलांश की व्यापक परिभाषा हम नीचे दे रहे हैं:
मूलांश की परिभाषा
यदि एक से बड़ी किसी धन पूर्णांक $a$ का अभाज्य गुणनखंडन $p_1^{e_1}p_2^{e_2} \cdots p_n^{e_n}$ हों, जहाँ $p_1, p_2, \ldots, p_n$ भिन्न - भिन्न अभाज्य संख्याएँ हों, तो धन पूर्णांक $a$ के मूलांश को $rad(a)$ से व्यक्त करते हैं और इसे इस प्रकार परिभाषित करते हैं:
\[rad(a) = p_1 p_2 \cdots p_n.\]
यदि दो धन पूर्णांकों के अभाज्य गुणनखंडन दिए हुए हों, तो इन संख्याओं के गुणनफल का अभाज्य गुणनखंडन आसानी से ज्ञात किया जा सकता है - हमें केवल दोनों अभाज्य गुणनखंडनों को गुणनफल के रूप में लिखना होता है. उदाहरण के लिए, $36 = 2^2 \times 3^2$ और $45 = 3^2 \times 5$. इसलिए
\[36 \times 45 = 2^2 \times 3^2 \times 3^2 \times 5 = 2^2 \times 3^4 \times 5. \]
अतः $rad(36 \times 45) = 2 \times 3 \times 5 = 30$. इस प्रकार यदि दो संख्याओं के अभाज्य गुणनखंडन दिए हुए हों, तो इन संख्याओं के गुणनफल का मूलांश उन अभाज्य गुणनखंडों में आए अभाज्यों को देखकर ज्ञात किया जा सकता है.
आइए, अब हम तीन धन पूर्णांक $a, b$ और $c = a + b$ लेते हैं. इन संख्याओं का गुणनफल $abc$ लीजिए. इसका मूलांश $rad(abc)$ ज्ञात कीजिए. अब कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं:
- क्या $c = rad(abc)$ सत्य है ?
- क्या $c > rad(abc)$ सत्य है ?
- क्या $c < rad(abc)$ सत्य है ?
- क्या उपरोक्त कथन परिमित संख्या में त्रिकों $(a, b, c)$ को छोड़कर अन्य त्रिकों के लिए सत्य हैं ?
- क्या $c < (rad(abc))^x$ सत्य है, जहाँ $x > 1$ एक स्वेच्छ वास्तविक संख्या है ?
आइए हम कुछ उदाहरणों की सहायता से इन प्रश्नों पर एक - एक कर विचार करते हैं. मान लीजिए, $a = b = 1, ~ c = a + b = 2$. तब $rad(abc) = 2 = c$. परन्तु यदि हम $a = 9, b = 5, c = 14$ लें, तो
\[rad(abc) = rad(9 \times 5 \times 14) = rad(3^2 \times 5 \times 2 \times 7) = 3 \times 5 \times 2 \times 7 = 210 > c = 14.\]
इस प्रकार हम देखते हैं कि कथन (1) सदैव सत्य नहीं होता है. इस उदाहरण से यह भी स्पष्ट होता है कि कथन (2) भी सत्य नहीं है. तो क्या कथन (3) सदैव सत्य होता है. अगला उदाहरण इस कथन को भी असत्य सिद्ध करता है. यदि हम $a = 3, ~ b = 125, ~ c= 128$ लें, तो
\[rad(abc) = rad(3 \times 125 \times 128) = rad(3 \times 5^3 \times 2^7) = 3 \times 5 \times 2 = 30 < c = 128.\]
कथन (4) के विषय में हम क्या कह सकते हैं ? यह दिखाया जा सकता है कि ऐसे अनंततः अनेक त्रिक (a, b, c = a+ b) हैं, जो उपरोक्त तीनों कथनों को संतुष्ट नहीं करता है. अतः कथन (4) भी असत्य है. आइए हम कथन (5) पर विचार करते हैं. प्रश्न यह है कि क्या $c < (rad(abc))^x$ किसी वास्तविक संख्या $x > 1$ के लिए सदैव सत्य होता है. इस प्रश्न का उत्तर है - नहीं. उदाहरण के लिए, यदि हम $a = 3, ~ b = 125, ~ c= 128$ लें, तो हम देख चुके है कि $rad(abc) = 30 $. अब यदि हम $x = 2$ लें तो,
\[c = 128 < 900 = (rad(abc))^2,\]
परन्तु यदि हम $x = 4/3$ लें, तो
\[(rad(abc))^{4/3} = 30^{4/3} \approx 93.217 < 128 = c.\]
इस प्रकार हम देखते हैं कि उपरोक्त कथनों में से कोई भी कथन सत्य नहीं है. परन्तु हम कथन (5) में थोड़ा सा परिवर्तन करते हैं: क्या कथन (5) परिमित संख्या में त्रिकों $(a, b, c)$ को छोड़कर अन्य त्रिकों के लिए सत्य हैं ? वृहत पैमाने पर संख्यात्मक अभिकलनों के आधार पर प्रतीत होता है कि उपरोक्त प्रश्न का उत्तर सकारात्मक है. यही $ABC$ अनुमान का कथन है, जिसकी उपपत्ति जापानी गणितज्ञ Shinichi Mochizuki द्वारा प्रस्तावित की गई है और वर्तमान में इसका गहन परीक्षण हो रहा है. नीचे हम इस अनुमान का परिशुद्ध कथन दे रहे हैं.
$ABC$ अनुमान
यदि $\epsilon > 0$ एक स्वेच्छ वास्तविक संख्या हों, तो असमिका $c > (rad(abc))^{1 + \epsilon}$ को संतुष्ट करने वाले त्रिकों की संख्या परिमित होती है, जहाँ $a, b, c$ परस्पर असहभाज्य धन पूर्णांक हैं (अर्थात तीन में से किन्हीं भी दो धन पूर्णांकों का महत्तम समापवर्तक $1$ है) और $c = a + b$. अन्य सभी त्रिकों के लिए असमिका $c < (rad(abc))^{1 + \epsilon}$ सत्य होता है.
इस प्रकार हम देखते हैं कि असमिका $c < (rad(abc))^{1 + \epsilon}$ को संतुष्ट नहीं करने वाले त्रिकों $(a, b, c)$ की संख्या परिमित होती है. ध्यान दें कि यह परिमित संख्या $\epsilon$ के अलग - अलग मान के लिए अलग - अलग हो सकता है. उदाहरण के लिए, यदि हम $\epsilon = 0.000001$ लें, तो असमिका $c < (rad(abc))^{1.000001}$ को प्रायः सभी त्रिक $(a, b, c = a+ b)$ संतुष्ट करेंगे, जहाँ $\gcd(a, b, c) = 1$ और वैसे त्रिकों $(a, b, c = a+ b), ~ \gcd(a, b, c) =1$ की संख्या परिमित होगी, जो इस असमिका को संतुष्ट नहीं करता है.
इस अनुमान के कई तुल्य कथन हैं, जिसकी चर्चा हम यहाँ नहीं करेंगे. पाठक लेख के अंत में दिए गए संदर्भों से अत्यधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
$ABC$ अनुमान के कई महत्त्वपूर्ण परिणाम है. इस अनुमान की उपपत्ति गणित के कई अन्य अनुमानों और प्रमेयों को सिद्ध करने में सक्षम हैं. यहाँ हम कुछ परिणामों पर ही चर्चा करेंगे. पाठक विकिपीडिया पृष्ठ $abc$ conjecture पर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इनमें से कुछ परिणामों की स्वतंत्र उपपत्तियाँ भी हैं.
इस अनुमान के कई तुल्य कथन हैं, जिसकी चर्चा हम यहाँ नहीं करेंगे. पाठक लेख के अंत में दिए गए संदर्भों से अत्यधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
$ABC$ अनुमान के कई महत्त्वपूर्ण परिणाम है. इस अनुमान की उपपत्ति गणित के कई अन्य अनुमानों और प्रमेयों को सिद्ध करने में सक्षम हैं. यहाँ हम कुछ परिणामों पर ही चर्चा करेंगे. पाठक विकिपीडिया पृष्ठ $abc$ conjecture पर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इनमें से कुछ परिणामों की स्वतंत्र उपपत्तियाँ भी हैं.
- दुए- सिजेल- राॅथ प्रमेय (Thue–Siegel–Roth theorem) (Bombieri 1994)
- मोर्डेल अनुमान (Mordell conjecture) ( Gerd Faltings द्वारा व्यापक उपपत्ति पहले ही दी जा चुकी है.) (Elkies 1991)
- किसी भी आधार $b > 1$ में अनंततः अनेक अ-विफरिच अभाज्यों (non-Wieferich primes) का अस्तित्व (Silverman 1988).
- मार्शल हॉल अनुमान (Marshall Hall's conjecture) (Nitaj 1996) का दुर्बल रूप.
- यह Szpiro अनुमान (Szpiro conjecture) के तुल्य है (Oesterlé 1988).
- फर्मा का अंतिम प्रमेय (Fermat's Last Theorem), जिसे Andrew Wiles ने प्रमाणित किया था.
- बील अनुमान (Beal conjecture),जो फर्मा के अंतिम प्रमेय का व्यापकीकरण है.
संदर्भ
[1] $abc$ conjecture, विकिपीडिया लेख : https://en.wikipedia.org/wiki/Abc_conjecture
[2] Hope Rekindled for Perplexing Proof, QUANTA Magazine, https://www.quantamagazine.org/20151221-hope-rekindled-for-abc-proof/
[3] Marianne Freiberger, Easy as ABC?, +plus magazine, https://plus.maths.org/content/easy-abc
[4] Weisstein, Eric W. "abc Conjecture." From MathWorld--A Wolfram Web Resource. http://mathworld.wolfram.com/abcConjecture.html
"मूलांश" शब्द की व्याख्या
"मूलांश" शब्द संगत अंग्रेजी शब्द "radical" का हिंदी रूपांतरण है. इस शब्द की रचना लेखक द्वारा स्वयं की गई है. गणित में अंग्रेजी शब्द "radical" का प्रयोग "करणी" के अर्थ में भी किया जाता है. परन्तु यहाँ इसका अर्थ करणी से भिन्न अर्थ में किया गया है, जिसे हम परिभाषित कर चुके हैं. हिंदी में इस नए शब्द के निर्माण से अर्थों में आसानी से अंतर किया जा सकता है. इस शब्द की सार्थकता निम्नलिखित व्याख्या से स्पष्ट हो जाएगी. मूलांश का संधि-विच्छेद है: मूल + अंश. "मूल" शब्द इस अर्थ का द्योतक है कि मूलांश में केवल मूल संख्याएँ हैं, और ये मूल संख्याएँ अभाज्य संख्याएँ हैं, क्योंकि अभाज्य संख्याएँ ही किसी प्राकृत संख्या के गुणनखंड में मौलिक गुणनखंड होते हैं. "अंश" का तात्पर्य है कि मूलांश ज्ञात करने के क्रम में हम संख्या के अभाज्य गुणनखंडन में केवल भिन्न - भिन्न अभाज्य संख्याओं का ही गुणनफल लेते हैं और अभाज्य संख्याओं की पुनरावृत्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता है. इस प्रकार मूलांश ज्ञात करने के क्रम में प्रायः हम दिए गए संख्या के अभाज्य गुणनखंडन के एक अंश का ही प्रयोग करते है. इस प्रकार "मूलांश" शब्द उचित प्रतीत होता है. पाठक इस विषय में अपना सुझाव दे सकते हैं.
संख्या सिद्धांत के अन्य अनुमान
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