"गणितज्ञ कैसे बनें ?" गणितीय आलेखों की एक श्रृंखला है, जिसके अंतर्गत विविध गणितीय विषयों पर ऐसे लेख प्रस्तुत किये जाते हैं, जो पाठकों को ज्ञात गणितीय तथ्यों, परिणामों और सूत्रों को स्वयं खोजने के लिए क्रमबद्ध तरीके से प्रेरित करते हैं और जिनसे उनके अंदर गणितीय शोध की स्वाभाविक प्रवृति जागृत होती है.
एक से बड़ी वैसी प्राकृत संख्या (natural numbers) जिसके गुणनखंड केवल $1$ और वही संख्या हों, अभाज्य संख्या (prime number) कहलाती है. दूसरे शब्दों में अभाज्य संख्याओं को $1$ और उस संख्या के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या से विभाजित नहीं किया जा सकता है. उदाहरण के लिए $2, 3, 5, 7, 11, 13$ इत्यादि अभाज्य संख्याएँ हैं. परन्तु $4$ एक अभाज्य संख्या नहीं है, क्योंकि इसे $1$ और $4$ के अतिरिक्त $2$ से भी विभाजित किया जा सकता है. इसी प्रकार $6, 8, 9, 10, 12$ इत्यादि अभाज्य संख्याएँ नहीं हैं. ये संख्याएँ संयुक्त संख्याएँ है. एक से बड़ी वैसी प्राकृत संख्या, जो अभाज्य नहीं है, संयुक्त संख्या (composite number) कहलाती है. अभाज्य संख्याओं के गुणधर्मों की विस्तृत जानकारी के लिए अभाज्य संख्याएँ देखें. अंकगणित के मूलभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic) से हम जानते हैं कि एक से बड़ी किसी भी प्राकृत संख्या को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में अद्वितीयतः (uniquely) लिखा जा सकता है. अतः अभाज्य संख्याएँ मूलभूत संख्याएँ हैं और इन्हें संख्याओं की निर्माण - इकाई कहना तर्कसंगत होगा.
हम जानते हैं कि प्राकृत संख्याओं की संख्या अनंत हैं. परिभाषा के अनुसार सभी अभाज्य संख्याएँ प्राकृत संख्याएँ हैं. अतः यह स्वाभाविक जिज्ञासा होती है कि क्या अभाज्य संख्याओं की संख्याओं भी अनंत है ? प्रस्तुत लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं.